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दूर्जन से दूरी भली-सदा करे आघात

संदीप कुमार सिंह 25 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगें। 12606 0 Hindi :: हिंदी

दूर्जन से दूरी भली, सदा करे आघात।
 घोंपे पीछे वह छुरा, उसका यह है जात।।

दूर्जन से दूरी भली, मन में रखता पाप।
करता साथी का बुरा, रहें अलग सो आप।।

दूर्जन से दूरी भली, लगा सके वह दाग।
कर सकता बदनाम भी, नहीं जानता राग।।

दूर्जन से दूरी भली,बाधा में दे डाल।
रुक जायेगा  काम भी, बुरा होत तब हाल।।

दूर्जन से दूरी भली, फँसा सके वह जान।
उलझन देगा आप को, करे नाश वह मान।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समतीपुर(देवड़ा)बिहार

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