Maushami 17 May 2023 कविताएँ अन्य मेरा# मैं #मुझमें # सिमटकर # ईश्वर 5495 0 Hindi :: हिंदी
मेरा मैं मुझमें सिमटकर रह गया है, जीवन के भीतर छुपकर रह गया है। बहुत सारे सपने थे मेरे पास, पर राही उनमें ही उलझकर रह गया है। हर चीज की तलाश में भटकते-भटकते, खुद को खोया हुआ पाकर रह गया है। ईश्वर के द्वारा दिए गए अद्भुत गुण, गहराईयों में छिपकर रह गया है। जब से संसार में आया हूं मैं, खुद के भीतर ही अकेला रह गया है। कितनी बार खुद को ढूंढते रहे, पर खुद को पाने से वंचित रह गया है। अब आँखें बंद करके मैं सोचता हूं, मेरा मैं मुझमें सिमटकर रह गया है।