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सन्झौति (एक जलता दीप)

Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख समाजिक एक जलता दीपक( सन्नझौती) 30538 0 Hindi :: हिंदी

शाम हो चुकी है,  सूरज भी ढल चुका, हल्की हल्की अंधेरा होने वाली है,
 तभी एक महिला, हाथ पांव  धोकर,
 अच्छी कपड़े पहन कर, हाथ में घी का दीपक, लिए खड़ी है, वह सभी घरों में, दीपक दिखा रही है, मैं उस दीपक को
 शत शत प्रणाम करता हूं! यह वही दीपक है, जिसने इंसानों को, जीना सिखाया है, हमें इन्हें, भूल जाना अच्छी बात नहीं, 
इसी से, करंट बिजली, नाना प्रकार के, कार्यों का आज इंसान, अंजाम दे रहा है,
 दीपक जलाने से, छोटे-छोटे वायरस, जो आंखों से भी दिखाई नहीं देते, उनका नाश हो जाता है, और हमारी वायुमंडल, 
हल्की हो जाती है, दीपक से हमारे पर्यावरण शुद्ध होता है, 
हमें जरूरी कार्य को करने के लिए,  लाइट का प्रयोग करना चाहिए_ आज तो हमारा समाज, इनका खुलेआम व्यवहार कर रहा है_ कोई भी बच्चा पढ़ने बैठता है तो भी, लाइट का प्रयोग करता है, कोई-कोई सोते वक्त  भी  लाइट का प्रयोग करते हैं,
 यूं कहिए कि_ हम पूरी तरह से_
 बिजली पर  निर्भर हो चुके हैं_
 कभी ऐसा भी दिन आएगा_  कि लोग
 दीपक जलाना भी भूल जाएंगे, 
आने वाली भविष्य में, यह शायद लुप्त हो जाए, यह तो हिंदू धर्म_ की महानता है_  के जिनमें_ बिना आरती दीपक के 
कोई शुभ कार्य_ नहीं होता, जब हमारा समाज एक समय_ हम पूरी प्रकार से_ जब बिजली पर, केंद्रित हो जाएंगे,  तो बिजली से ही,  इस दुनिया का अंत हो जाएगा_ क्योंकि बिजली_ बिजली को आकर्षित करती है_ समस्त ब्रह्मांड में_ बिजली जैसी , एक ऊर्जा है,  आज भी कितनी मौतें_ बिजली गिरने से ही_ हो रही है_ उनका एकमात्र_ एक कारण है_ हमारे पर्यावरण, का संतुलन  खोना, प्रकृति हमें कोई भी चीज_ हद से ज्यादा  व्यवहार करने की_ इजाजत नहीं देता_ इस बात को विज्ञान भी मानता है_ प्रकृति के अपने नियम हैं_ उनमें से एक नियम है_ कोई भी 
वस्तु का हम अधिक से अधिक
 प्रयोग नहीं कर सकते, यह कटु सत्य है, इस समाज को,
 अपने पुराने विज्ञान 
को भी 
समझना चाहिए आज का विज्ञान, विकसित तो है, लेकिन हम इन पर,
 100% भरोसा नहीं कर सकते, मैं दीपक दिखाने जैसे क्रिया को_ फिर से लाख-लाख धन्यवाद देता हूं_

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