akhilesh Shrivastava 17 Dec 2023 कविताएँ समाजिक आज-कल आपसी सम्बन्धों की रिश्तेदारी मात्र दिखावा हो गई है 3634 0 Hindi :: हिंदी
*रिश्तेदारी* माता पिता के संरक्षण में बगिया हरियाली लगती है हम बच्चों के प्यार की यह फुलवारी प्यारी लगती है रिश्तों की प्यारी फुलवारी अब उजड़ी सी लगती है फार्मल रिश्तेदारी ही अब सबको प्यारी लगती है।। हरी भरी रिश्तों की बेला में बीमारी लग गई है रिश्तों के सूखे पत्तों को पतझड़ प्यारी लगती है।। अब अजीब सी इस समाज में रिश्तेदारी लगती है एक ही ख़ून के रिश्तों में अब दूरी प्यारी लगती है।। रिश्तेदारी निभाना अब बड़ी बीमारी लगती है दोस्तों यारों और गैरों से दोस्ती प्यारी लगती है।। कोई फ़िक्र नहीं रिश्तों की ये तो बेगारी लगती है रिश्तों में बेइमानी ही अब सबको प्यारी लगती है।। पारिवारिक रिश्तों में अब दीमक जल्दी लगती है दिल से खोखले होते हैं ऊपर से प्यारी लगती है।। अब समाज में रिश्तेदारी प्रथा पुरानी लगती है नई पीढ़ी को रिश्तेदारी महज़ कहानी लगती है।। धन वैभव के जाल में जकड़ी रिश्तेदारी लगती है सम्बंधों की यह फुलवारी अब उजड़ी बगिया लगती है। रचयिता अखिलेश श्रीवास्तव एडवोकेट जबलपुर
I am Advocate at jabalpur Madhaya Pradesh. I am interested in sahity and culture and also writing k...