"नींद की गोली"
देके नींद की गोली माँ बाप नै सुलावै सै,
अपनों ने धोखा देके जो गैर न चाहवै सै,
कै योहे दिन देखण खातिर माँ बाप औलाद नै पढावै है।
कई झोला छाप धन के भूखे,इसने हथियार बणावै सै,
तन मन धन तै शोषण करते,गैरा के कंधे चलावै सै।
धन तै बतेरा जुङ ज्या गा,पर ना नींद रात नै आवैगी,
उस दिन लेणा नींद की गोली,थारै काम बख्त पै आवैगी।।
अर्ज करूँ उन बच्चों तै,मतन्या करियो ऐसा काम,
माँ बाप की हो बदनामी,थूके सारा गाम तमाम।
पढ लिख बच्चे तरक्की करज्या,
माँ बाप का चेहरा खिलता रहे,
बिना नींद की गोली के भी,
हर बालक ते बालक मिलता रहे।
हर बालक ते बालक मिलता रहे।।
✍बलकार सिंह हरियाणवी