संदीप कुमार सिंह 05 Aug 2023 शायरी प्यार-महोब्बत मेरी यह शायरी समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 8396 5 5 Hindi :: हिंदी
(शायरी) जंगल की वह कहानी आज भी कुछ कहती रहती है, जहां घूमने जाने पर मंगल ही मंगल लगता था। न कोई खौफ न कोई डर था हम सब ही संग थे, मन में मस्तियों की ही तरंग ही तरंग थी। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
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I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....