Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

मुझे अच्छा लगता हैं ये देख कि ये बारिस कितनी सफल हुई

DINESH KUMAR KEER 09 May 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 4234 0 Hindi :: हिंदी

बारिस की मीठी बूंदें ज़ब तेरे चेहरे पर पड़ती हैं

मुझे अच्छा लगता हैं ये देख कि ये बारिस कितनी सफल हुई

ये ज़िन्दगी कितनी नीरस हैं ना तुम्हारे बिन

मगर ये नीरस ज़िन्दगी में तुम्हें मुस्कुराता देख मुझे अच्छा लगता हैं

लगता हैं मानों एक तरंग बदन में दौड़ गई हों

ऊर्जान्वित कर गई हों पूरा मन मस्तिष्क

और दे गई हों एक नई संकल्पना जीने की

पता हैं कई दफ़ा रात में बैठा आसमां निहारता हूँ

लगता हैं जैसे चाँद से सीढ़ी बना तुम उतर आओंगी सीधा मेरी छत पे

मुझे अच्छा लगता हैं अब ख्यालों में खोया रहना

ऐसे आइसक्रीम मेरी बाकी हैं जों बचपन में चुराई थीं तूम

आओं उसे साथ खाते हैं, चार दिन की ज़िन्दगी से दों पल चुराते हैं...

शायद ये बस एक कल्पना रह जाये

मगर अब मुझे कल्पनाओं में जीना... मुझे अब अच्छा लगता हैं

पांव के निशान को, मिटाता, चला गया,

मै, गलतियां, अपनी, गिनाता चला गया।

जिस ऐब से नफरत निभाई थी उसने,

मै, शिद्दत से दोस्ती, निभाता, चला गया।

बीता था, वक्त, लड़ाई में उसका, मै,

कई दिन, सफाई सुनाता चला गया।

घर से लगाव था, बहुत जिसको,

लड़का, विदेश में, कमाता चला गया।

था शौख उसका, उड़ना हवा में,

मै ट्रेन की टिकटें बनाता चला गया।

पसंद आया ना उसको, कभी साथ मेरा,

बाद उसके खुद को समझाता चला गया।

आई थी इक दिन घर पर वो मेरे,

पता चला, "दिनेश" रहा नही चला गया।

तुम मुस्कुराती हो,

और मैं एक टक बस तुम्हें

निहारता रह जाता हूं,

जब मैं कहता हूं कि

मैं तुमसे प्रेम करता हूं,

तो मैं क्षितिज से सुंदर हमारे

मिलन कि कल्पना करता हूं।

मेरी भावनाओं में तुम रहती हो,

चेहरे से बाल हटाकर के

नज़रे झुकाए, शर्माती रहती हो,

प्रेम तो तुम भी करती हो मुझसे

किन्तु कहां कहती हो!

मैं तुम्हारा हो गया अब सदा के लिए,

और तुम मेरी प्रेमिका बन,

मेरे हृदय में रहती हो।

जानता हूं कि,

यह संसार 'प्रेम' शब्द नहीं समझता है,

या फिर यह संसार प्रेम को मात्र

एक शब्द ही समझता है,

किन्तु मेरे लिए तो,

प्रेम ही मेरा पूर्ण संसार है,

और संसार तुमसे है,

यह जीवन तुम बिन व्यर्थ है,

तुमने इसे अर्थ दिया, प्रेम दिया,

ऐसा प्रतीत होता है मानो,

जैसे एक देह में प्राण दिए,

तथा जीवन दिया ।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: