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कुदरती कीर्ति वैभव माहिती

संदीप कुमार सिंह 01 May 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4045 0 Hindi :: हिंदी

कुदरती कीर्ति वैभव माहिती,
          नाना प्रकार रूपी शोभित संपदा।

         जगत नाथ धाम से अंबरनाथ तक,
             पहुंचे भक्तों की अपार भीड़।

           लोकलुभावन जंगल,              बर्फा छादित पहाड़ों की अट्टालिकाएं।
     
दुर्ग किला कोहिनूर रूपी अनमोल धरोहर,
             लोग आते हैं लोग जाते हैं,
        यह तो सुनाम लोगों की मंजिल है।

              हरी हरी घास रूपी धरा,
                नीला नीलिमा गगन।

रुपहले पर्दे पर आती-जाती छाया प्रतिबिं,
नव ग्रहों से शुभ सुंदर आसमानी आकाश।

                एक सूर्य एक चंद्रमा,
        पूर्ण  सत्य रूपी अटल अचल अमर।

                परमपिता परमात्मा महादेव,
                परम माता परमात्मा पार्वती।

                 के पावन चरणों में,
                 कोटि कोटि प्रणाम।

                   जीरो 0 से लेकर अनंत तक,
             ऊपर आसमान नीचे पृथ्वी तक। 

                  विवेकानंद रूपी योगी,
             गुरु परमहंस रूपी महर्षि बेजोड़। 

                    महाभारत रामायण,
                  ज्योति अलौकिक संदेश।

  युद्ध कौशल और कलाकृति का समावेश,
    रामचरित्रमानस रचित तुलसीदास।
               
  तुलसी इस संसार में भांति भांति के लोग,कौटिल्य चाणक्य विक्रमादित्य इत्यादि महापुरुष,
 जग जाहिर करती हैं महिमा अनेक।

     नील कमल नयन त्रिलोकीनाथ,
    अजब गजब करती सुप्रसिद्ध त्रयंबकम।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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