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प्राथमिक से बीएड बाहर-आइए महसूस करिये जिंदगी के ताप को

Saurabh Sonkar 19 Aug 2023 कविताएँ अन्य आइए महसूस करिये जिंदगी के ताप को, मैं बीएड वालों की गली तक ले चलूंगा आपको, स्वीकार कैसे निर्णय करें शिकार हम ही हो गये, अधिकारों को हमने लड़ा गद्दार हम ही हो गये, न्याय की शालाओं से ही अन्याय हम पर हो रहे, सरकारों की अस्पष्ट नीति थी गुनहगार हम ही हो गये, हम तो बढ़े नियम से थे शिकार हम क्यों हो गये, गलती तो औरों ने की सजादार हम क्यों हो गये, होनी से बेख़बर हमसब बेख़बर दुनिया में थे, मुड़कर देखा तो हमसब कोर्ट की जकड़ में थे, न्याय के नाम पर हो रहा कैसा ये अन्याय है, हजार नहीं लाख नहीं करोड़ो इसी जकड़ में है, कहते हैं सत्ता साथ है माना कि सत्ता साथ है , सरकार सच में साथ है फिर लाओ अध्यादेश न, है आपके अधिकार में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलटो, न्याय दो हम सबको इक स्पष्ट कानून तो बनाओ न, जब चाहा अंदर किया जब चाहा बाहर किया, अब इस मानसिक प्रताडना से छुटकारा भी दो, आइए महसूस करिये जिंदगी के ताप को, मैं बीएड वालों की गली तक ले चलूंगा आपको, रचनाकार - सौरभ सोनकर बीएड कुण्डा 34665 0 Hindi :: हिंदी

पार्ट - 2
आइए महसूस करिये जिंदगी के ताप को,
मैं बीएड वालों की गली तक ले चलूंगा आपको,

स्वीकार कैसे निर्णय करें शिकार हम ही हो गये,
अधिकारों को हमने लड़ा गद्दार हम ही हो गये,

न्याय की शालाओं से ही अन्याय हम पर हो रहे,
सरकारों की अस्पष्ट नीति थी गुनहगार हम ही हो गये,

हम तो बढ़े नियम से थे शिकार हम क्यों हो गये,
गलती तो औरों ने की सजादार हम क्यों हो गये,

होनी से बेख़बर हमसब बेख़बर दुनिया में थे,
मुड़कर देखा तो हमसब कोर्ट की जकड़ में थे,

न्याय के नाम पर हो रहा कैसा ये अन्याय है,
हजार नहीं लाख नहीं करोड़ो इसी जकड़ में है,

कहते हैं सत्ता साथ है माना कि सत्ता साथ है ,
सरकार सच में साथ है फिर लाओ अध्यादेश न,

है आपके अधिकार में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलटो,
न्याय दो हम सबको इक स्पष्ट कानून तो बनाओ न,

जब चाहा अंदर किया जब चाहा बाहर किया,
अब इस मानसिक प्रताडना से छुटकारा भी दो,

आइए महसूस करिये जिंदगी के ताप को,
मैं बीएड वालों की गली तक ले चलूंगा आपको,

रचनाकार - सौरभ सोनकर बीएड कुण्डा प्रतापगढ़

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