संदीप कुमार सिंह 08 Jul 2023 आलेख अन्य मेरा यह आलेख समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4353 0 Hindi :: हिंदी
गुमराह होती जा रही है युवाओं की एक बहुत बड़ी टोली। युवा तो युवा बड़े भी इस मामले में कुछ कम नहीं है। समाजिकता को ठेंगा दिखा रही है कई प्रकार के लालच और दिखावा। सभी अपने_अपने में कुबेर बनने के होड़ में लगे हैं। अनुशासन का घोड़ अभाव देखा जा रहा है। निर्णय कड़ना बड़ा ही मुश्किल हो रहा है की कौन सही और कौन गलत। सिद्धांत विहीन योजना के तहत लोग लंबी रेस का घोड़ा बनना चाह रहा है। राजनीति तो मानो कुबेर के भंडार में प्रवेश करने का सरल सा मार्ग हो गया है। हर कोई राजनीति पदवी लेने के चक्कर में चक्करघिन्नी के तरह घूम रहा है। चुनावी माहौल तो ऐसे लोगों के लिए उपहार स्वरूप मिला संयंत्र हो। जिसमें लोग काफी रुचि दिखाते हैं, सारे नियमों को खाट पर सुला के छोड़ देता है। और लग जाता है अपना_अपना सिक्का जमाने में। खोखली और फरेबी चोला पहन ये सारे भोली_भाली जनता_जनार्दन को सबकुछ मानकर उनका दिल जीतने में सफल भी हो जाते हैं। फिर जब काम निकल जाता है तो जनता_जनार्दन को ये लोग नजर भी नहीं आते हैं। हाथ मलने और अफसोच करने के सिवा कुछ कर भी नहीं सकते हैं। दिखावे के आड़ में घूंघट डाले असामाजिक कार्यकलाप दूधो नहाओ और फूलों_फलों की वरदानी आशीर्वाद लिए बेखौप तानाशाही अंदाज में चल रहें हैं। नशे के शिकार और शिकारी, चोर_चोर मौसेरा भाई वाली कहावत को चरितार्थ करती शासन और प्रशासन ऐसे लोगों के जिम्मे विडंबना बस पड़ा है। विकास और प्रगति की ऊंची इमारत दिखा जनता की जिंदगी खंडहरों सा है। सत्यता की मानो किसी राक्षसों के द्वारा हरण कर लिया गया हो। झूट ही सांच का आवरण पहन कर बढ़ता जा रहा है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....