Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य हाले दिल 19605 0 Hindi :: हिंदी
तस्विर से मन अब भरता नही तु मेरा हाले दिल क्यो समझता नही मैं अक्सर रातों मे सोते से जगा जाता हूँ तु क्यो इश्क बन के ज़िगर पे छाई है क्या तस्विर को ही समझलू जीने का सहार य़ा तु भी आयेगा कभी मेरे बहों मे दूबार भरम तो नही है पाला मेरे दिल ने तु आयेगा य़ा तु सच मे है मेरे जीवन के किनारा