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इश्क़ है न चाह है-तुझे पाने की

ASHWANI PANDEY ( ADVOCATE ) 14 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 10118 0 Hindi :: हिंदी

इश्क़ है न चाह है,तुझे पाने की,
फिर भी करीब रहो,ये अच्छा लगता है

 ख्वाब है या हकीकत दर्मिया अपने,
 फिर भी तुम्हे सोचना,अच्छा लगता है

दूर हो न या करीब ही हो मेरे,
फिर भी तुम हम कदम हो,अच्छा लगता है

अपने हो न पराये ही हो तुम,
फिर भी तुम मे गुम रहना,अच्छा लगता है किस चीज़ का बनवाती हो लिबास तुम अपना ,
कपड़ा तो इस आग को छूकर जल जाता होगा.

मुकद्दर में लिखी कोई बात हो तुम तकदीर की एक खुबसुरत सौगात हो तुम,
करके प्यार तुम्हें महसूस किया जैसे सदियों से यूं ही मेरे साथ हो तुम।
 रूह की प्यास बुझा दी थी तेरी सोहबत ने,
तू कोई झील थी, झरना थी, घटा थी,क्या थी

नाम होठों पे तेरा आया तो राहत सी मिली,
तू तसल्ली थी, दिलासा थी, दुआ थी,क्या थी
_ ASHWANI PANDEY _

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