Anany shukla 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य फूल ने कहा काँटों से 97264 0 Hindi :: हिंदी
हुई बहस एक दिन फूल और काँटों में फूल ने कहा काँटों से मुझे देखकर लोग मुझे अपने हृदय से लगाते हैं तुझे देखकर लोग तुझे तोड़ दूर फेककर आते हैं मैं तो पूजा पर चढ़ जाता हूँ यौवन का ताज बनाता हूँ गुंजन को पान कराता हूँ जीवन को रंगीन बनाता हूँ अपनी कोमल काया से मखमल का एहसास कराता हूँ रंग बिरंगी तन से अपने उपवन को सजाता हूँ अपनी सुंदर गंध से मैं इस जग को महकाता हूँ हुआ सवेरा खिलकर में एक नयी उमंग दिखाता हूँ बातें सुनकर फूल की शूल ने यह बोला तनिक संदेह नहीं इसमें कि तुम सबके प्यारे हो रहकर इस धरती पर दिखते आसमान के तारे हो पर नहीं अस्तित्व तेरा मेरे बिना यह बात तुम जान लो मैं ही हूं तुम्हारा वो प्रहरी तुम मुझे पहचान लो यदि मैं ना होता तो तू कहाँ होता तोड़ लिया जाता तुझको गुंजन का पान कहाँ होता मसल दिया जाता तुझको यौवन का ताज कहाँ होता मिट जाती तेरी काया मखमल का एहसास कहाँ होता सुनकर बातें शूल का एहसास हुआ अपनी भूल का सबसे अच्छा हूं इस दुनिया में यह घमंड टूटा उस फूल का