संदीप कुमार सिंह 29 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरा यह गीत समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4329 0 Hindi :: हिंदी
सुख के साथी सैकड़ों,करते रहते वाह। खाने पीने में रहे,अन्दर रखते डाह। ऐसों से हट कर रहें, फूलों सा हो रात_ संकट में जो साथ दे,उनसे रखिए चाह। (स्वराचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....