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ख़ुशी के गीत गुनगुनाते रहो

Rupesh Singh Lostom 17 May 2023 कविताएँ अन्य समां जलाये रहो 7706 0 Hindi :: हिंदी

समां जलाये रहो  
ख़ुशी के गीत 
गुनगुनाते रहो  
गम आए जाये सदा 
मुस्कुराते रहो
 
दिन सा ढल जायेगा 
ये भी करवा 
बस महेशा सर 
उठा के जिओ 

रंग रूप जिस्म 
सब ढकोशला हैं 
बस मन को स्वस्थ 
बनाये रखो 

प्रेम एक रोग हैं 
इस से खुद को 
बचा के रखो 
वक्त बे वक्त आजमाते रहो 
अपने दिल को 
बस अपने चाहने बाले पे 
विश्वाश बनाये रखो 

कोई तो होगा तेरे फ़िक्र में 
बस उस पे नजर बनाये रखो 
तेरे हुस्न पे मरता होगा 
दीदार को तरसता होगा 
तेरे लिए आहे भरता होगा 
बस उस पे ही निगाये जमा रखो

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