संदीप कुमार सिंह 09 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3777 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) प्यास न जाने जात को,मौसम करे न वैर। सब पर एक प्रभाव दे,समझे कभी न गैर।। मुश्किल जब हो सामने,ढूंढे सभी बचाव। प्यास न जाने जात को,करे न भेद अलाव।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....