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माता-पिता का अपने अनुरूप बच्चे का आकलन

Komal Kumari 14 Sep 2023 कहानियाँ समाजिक 15103 0 Hindi :: हिंदी

सोनपुर नाम का एक गांव है जो अपने प्राकृतिक दृश्य के लिए प्रसिद्ध हैं । बाहर से पर्यटक आते ही इस गांव की सुंदरता में खो जाते हैं।
मैं रीमा सोनपुर गांव के विद्यालय "सोनपुर मध्य विद्यालय "की कक्षा सातवीं की 'इतिहास' की शिक्षिका हूं । विद्यालय के सभी कक्षाओं में शिक्षक -शिक्षिका गतिविधि के द्वारा बच्चों को पढ़ाते हैं।
मई का महीना है अब बच्चों की परीक्षा होने वाली है, बच्चे परीक्षा को लेकर अच्छी तरह से तैयारी कर रहे थे, आखिरकार बच्चों के परीक्षा के दिन आ गए परीक्षाएं शुरू हो गई सभी बच्चों ने अपने सोच समझ से परीक्षा लिखी।
बच्चों की परीक्षाएं खत्म होने के साथ-साथ गर्मियों की छुट्टी भी हो गई ।स्कूल खुलने के कुछ सप्ताह बाद सभी बच्चों की "परीक्षा परिणाम का रिपोर्ट कार्ड "दिया गया।
मेरे कक्षा के दो बच्चे रमेश और रीता ने परीक्षा परिणाम का रिपोर्ट कार्ड नहीं लिया था क्योंकि उनकी तबीयत खराब थी इसलिए रिपोर्ट कार्ड लेकर मैं ही दोनों के घर गई।
पहले मैं रमेश के घर गई उससे उसका तबीयत पूछी और रिपोर्ट देते हुए कहा देते हुए कहा-"बेटा तुम परीक्षा पास हो तुम्हारे 80%आए हैं।"यह सुनकर रमेश बहुत खुश हो गया। रमेश के माता-पिता ने उसकी रिपोर्ट कार्ड देखी और उसे डांटने लगा कहने लगा -"ये क्या नंबर आए हैं तेरी"। सब सुनकर रमेश मायूस होकर अपने कमरे में चला गया।
मैं भी कहा कि रमेश की तबीयत खराब थी ऐसे में 80% आए हैं बहुत अच्छी बात है। पर उसके माता-पिता को सुनने के लिए तैयार नहीं थे अगली बार रमेश और अच्छे नंबर लेकर आएगा यह कहकर उसके माता-पिता को मैंने समझाया और रमेश के घर से निकल गई।
सर में गीता के घर पहुंची उसकी तबीयत पूछी और रिपोर्ट कर देते हुए कहां-" तुम पास हो बेटा तुम्हारी 60% आए हैं।"यह सुनकर गीता और उसके माता-पिता बहुत खुश है और रीता को आशीर्वाद देते हुए कहा -"अपने आने वाले सभी परीक्षाओं में तुम ऐसे ही अच्छे नंबरों से पास करते रहो"।
यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई मैं भी रीता को आशीर्वाद दी और वहां से चली गई।
मैं रास्ते में सोच रही थी कि रमेश के माता-पिता भी रीता के माता-पिता की तरह होते जो रमेश को समझाते और जीवन के हर मोड़ पर उसका साथ देते।
संदेश -आज भी हमारे देश में ऐसे कई परिवार है जो अपने बच्चों को बिना सोचे समझे कम नंबर आए या ज्यादा नंबर आए उन्हें डटते हैं। माता-पिता कभी अपने बच्चों के नंबर से संतुष्ट नहीं होते जिस कारण भारत में आजकल बच्चे रिजल्ट ,नंबर फेल आदि के कारण कम उम्र में आत्महत्या कर लेते हैं ।जिसका सबसे बड़ा कारण माता-पिता द्वारा अपने बच्चों को ना समझना और सहयोग न देना है।
हर माता-पिता को यह समझना होगा कि हर बच्चे की व्यक्तिगत क्षमता, रुचि सोचने समझने की शक्ति अलग-अलग होती है उन्हें उन्हीं के अनुरूप अपनाए तभी बच्चे का संपूर्ण विकास होगा और देश का भी विकास होगा।

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