संदीप कुमार सिंह 19 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 12080 0 Hindi :: हिंदी
दुनियाँ के रंगीन जो हैं नजारे, जो देते हैं हमें बेहिसाब बहारें। नाना प्रकार की वस्तुएं मेरे लिए, कुदरती सम्पदा है मेरे लिए। ये सारे प्यार का तो ही है परवान, रंग_बिरंग की बोली_भाषा यहां। उत्साह से भरपूर त्योहारें, सुनहरे अक्षरों में लिखी हुई इतिहास। बनाने वालों का जीवों के प्रति, प्यार का परवान है यहां असीम। सूरज_चाँद का आना_जाना, जीवन में जोशों का रंग भरना। विशाल अम्बर_ममतामयी धरती, टिमटिमाते तारे, हवाओं के प्रकार। मौसम का आना_जाना, अपने_अपने प्रभाव से हर्षाना। सागर_महासागर,उनमें मौजूद प्राणी, विशाल पर्वतों की श्रृंखलाएं। उससे से निकलती हुई झरना, विभिन्न प्रकार की औषधि। इन तमाम रचनाओं पर होता गर्व, फिर जिंदगी जीते हैं ऐसे जैसे पर्व। विभिन प्रकार की फसलें, जिनका अपना_अपना हैं नस्लें। फिर जीने का विभिन्न आयाम, जो देते हैं हमें बहुत हसीन पयाम। कर्मों में सावधानी वर्तना, धर्मों का रहता है फिर जलवा। जन्म_मरण की प्रक्रिया, पाप_पुण्य का गठरी। लख चौरासी में भटकन, कुछ निकलते बांकी को लटकन। संपूर्ण सृष्टि की बनावट, से साफ जाहिर होता। बनाने वाले का, असीम है प्यार का परवान। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....