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मुमकिन है सब कुछ यहां-सिर्फ चाह हो यार

संदीप कुमार सिंह 01 Sep 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 20034 0 Hindi :: हिंदी

(कुंडलिया छंद) 
मुमकिन है सब कुछ यहां,सिर्फ चाह हो यार।
नेक दुआ लेंगें सदा,देंगें सभी दुलार।।
देंगें सभी दुलार,मात दूं  सदैव  दुश्मन।
सहचर को दूं प्यार,करूं जीवन को गुलशन।
कहते कवि संदीप,कभी आए जो दुर्दिन।
पावन रखें विचार,ईश करते सब मुमकिन।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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