Dr Satywan Saurabh 26 Jun 2023 आलेख समाजिक 6980 0 Hindi :: हिंदी
. हारा-थका किसान ●●16 बजते घुँघरू बैल के, मानो गाये गीत । चप्पा-चप्पा खिल उठे, पा हलधर की प्रीत ।। ●●●17 देता पानी खेत को, जागे सारी रात । चुनकर कांटे बांटता, फूलों की सौगात ।। ●●●18 आंधी खेल बिगाड़ती, मौसम दे अभिशाप । मेहनत से न भागता, सर्दी हो या ताप।। ●●●19 बदल गया मौसम अहो, हारा-थका किसान । सूखे-सूखे खेत हैं, सूने बिन खलिहान ।। ●●●20 चूल्हा कैसे यूं जले, रही न कौड़ी पास । रोते बच्चे देखकर, होता खूब उदास ।। ●●●21 ख़्वाबों में खिलते रहे, पीले सरसों खेत । धरती बंजर हो गई, दिखे रेत ही रेत ।। ●●●22 दीपों की रंगीनियाँ, होली का अनुराग । रोई आँखें देखकर, नहीं हमारे भाग ।। ●●●23 दुःख-दर्दों से है भरा, हलधर का संसार । सच्चे दिल से पर करे, ये माटी से प्यार ।।