Rani Devi 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 17632 0 Hindi :: हिंदी
आखिर कब तक ? गुलामी की जंजीरों में जकड़ी औरत आजादी का देखा न सपना उसके जुल्मों का खात्मा होगा आखिर कब तक ? जन्म लिया तो उसकी कर दी हत्या या दुख मनाया सबने खात्मा होगा उसके जुल्मों का आखिर कब तक ? हँसते हँसते अपनाया जिनको उनसे भी रही परायी पीर उसकी ज़हर देकर या तेल छिड़क कर जलायेंगे आखिर कब तक ? समझ सके न पीड़ा उसके दिल की जिनको अपने जिस्म का खून पिलाया करेगी सामना सबकी नीच निगाहों का आखिर कब तक ? दिया जुल्मों का भंडार उसको संसार के हर रिश्ते ने सहनशीलता का मिलेगा इनाम उसको आखिर कब तक ?
Hindi Lecturer in Government school GSSS Karoa Himachal Pradesh....