Jyoti yadav 28 Dec 2023 ग़ज़ल समाजिक शहर गुमनाम दिया 7071 0 Hindi :: हिंदी
इक नन्ही परी बादल जिसका आशियाना हुआ करता था आफताब सी चमक माहताब नजराना हुआ़ करता था हर दर्द गम से बेफिकर मस्त मौला मुस्कुराना हुआ़ करता था सुन्दर सुरीली रागिनी और मां परी का परवाना हुआ करता था♥️♥️♥️♥️♥️ राजमहल की राज दुलारी वो बाबा के धड़कन की सांस थी आंगन की रौनक उससे ही थी और दोस्तो मे बड़ी खास थी❤️❤️❤️❤️ बांधा पट्टी आंखों पर मस्ती की सुध इक बार आईं छूपम छूपाई खेलते खेलते परी दहलीज पार आईं 😀😀 खुली जब आंखें तो अद्भुत नजारा देखा छलने वाला जादुई सितारा देखा😂😂😂😂 जी हुआ परी का उसे पाने को करने लगी जिद वो मां परी से धरती पर आने को 🙏🙏🙏🙏🙏 मां ने बहुत समझाया तीनों लोकों से खिलौने मंगवाया फिर भी नन्ही परी एक ना मानी बेबस हुई मां परी और भर दी हांमी😁😁😁 परी उछल पड़ी उमंगों से मां ने भी हल्की मुस्कान से विदा किया रख पत्थर कलेजे पर अपने मां परी ने नन्ही परी को जुदा किया❤️❤️❤️❤️ जाते-जाते मां परी ने नन्ही परी को इक पैगाम दिया कह दी अलविदा सदा के लिए और शहर गुमनाम दिया 😂😂😂😂😂😂 पहने ताज जन्नत का पाकिजा आई जहन्नुम के बाजार मे यहां हर चेहरे मासूम थे फरेब निगाहें दगा थी हर किरदार में❤️❤️❤️❤️❤️ अब तो हर रोज दुआं करती है अश्क गम के पिया करतीं हैं परी राजमहलों की वो आफत में जिया करती है😂😂😂😂😂😂😂😂 ज्योति यादव के कलम से ✍️ कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश 🙏♥️