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मेरी एक ख्याली महबूबा-मैं उसपे मरता हूं

Kaif Saifi 13 Sep 2023 आलेख प्यार-महोब्बत Kaif Saifi , मेरी एक ख्याली महबूबा, meri ek khayali mahbooba , kaif Saifi shayari, kaif Saifi poetry, kaif Saifi Qaseede , kaif Saifi sayri , kaif Saifi shayri, kaifsaifi , kaif Saifi sahity, kaif Saifi poet , kaif Saifi poet 7844 0 Hindi :: हिंदी

मेरी एक ख्याली महबूबा .... 
मैं उसपे मरता हूं बो मुझपे मरती है 
नहीं है उसका अक्स पर बो खूबसूरत लगती है 
मैं उसपे जान देता हूं , बो मुझपे जान देती है 
एक ख्याली महबूबा है जो मुझ पे मरती है...... 

नहीं जिक्र किसी गैर का , बो बस मेरी बातें करती है 
ना दिल दुखाती है , ना रुलाती है , ना रातों को जगाती है 
मैं हूं हकीकत उसकी , बो मेरे ख्यालों में रहती है 
मैं जब भी गर्दिशों में घिर जाता हूं तो मेरा सुकून बन जाती है 
एक ख्याली महबूबा है जो मुझे पे मरती है...... 

मैं उससे बातें करता हूं बो मुझसे बातें करती है 
मैं चुप हो जाऊं तो रूठ जाती है 
बो रूठती है तो मेरी जान जाती है 
मैं उदास होता हूं तो मुरझा जाती है 
मैं मुस्कुराता हूं  तो  खिल जाती है 
एक ख्याली महबूबा है जो मुझ पे मरती है...... 

ना मुझको जरूरत किसी की, ना उसको हाजत होती है 
हम दोनो की एक दुनिया है जो खूबसूरत लगती है 
बो प्यारी लड़की अपने हाथों से मेरी दुनिया सजाती है
मैं इस जहां से अलग होता हु , तो मेरी दुनिया बन जाती है
एक ख्याली महबूबा है जो मुझ पे मरती है.......

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