Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 83655 0 Hindi :: हिंदी
कविता- जय हो गुरुदेव! जय हो! महाज्ञानी गुरुदेव ज्ञानदाता। सच्चा पथ प्रदर्शक भगवान विधाता।। सूर्य के समान चमक रहा है विद्याधर। साक्षात अंतरात्मा को प्रकाशित कर।। अबोध बालक में जागृत किया बोध। विशेषज्ञ बन किए वृहद नवीन शोध।। ज्ञानी गुरु जड़ बुद्धि में ला देता चेतन। प्रेरणा से लक्ष्य का करवाता है भेदन।। मन में जगा देता है सीखने की इच्छा। मूल्य निर्धारण के लिए लेता परीक्षा।। नैतिकता और संज्ञान में बनाता प्रवीण। खेल,नृत्य,गीत,संगीत में करता उत्तीर्ण।। अंधकार का बनाया उज्जवल भविष्य। सत्य की पहचान कर दिखाया दृश्य।। कोविद ही लाता है जन-जन में सुधार। समाज कल्याण करता प्रभु के अवतार।। वंदना करो गुरु का चरण कमल पकड़। मांग लो तुम आशीष विवेक का जड़।। सहज मानव को योद्धा बना जीतवाता। जीवन जीने की आदर्श कला सिखाता।। परिचय- अशोक कुमार यादव निवासी- मुंगेली, छत्तीसगढ़ संप्राप्ति- सहायक शिक्षक सम्मान- मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार से सम्मानित। घोषणा पत्र- मैं यह प्रमाणित करता हूं कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।