Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

बचपन का साथी-बचपन का साथी कब राहों में खो गया

नीतू सिंह वसुंधरा 19 Sep 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत Nitu singh Hindi Kavita 20316 0 Hindi :: हिंदी

बचपन का साथी
बचपन का साथी कब राहों में खो गया,
यह पता चला ही नही।
मैं बच्चा से कब बड़ा हो गया ये पता चला ही नहीं।
बचपन के वो लम्हे जो हर समय जी में आए।
मगर चाह कर भी दिन कभी लौट के ना आए।
बचपन में न सोच थी, न एहसास था।
लेकिन दोस्तों के साथ मर मिटने का प्यार था।
बचपन की दोस्ती कब जज्बातों में बदल गई,
इसका एहसास ही ना था।
और जज्बात कब जिंदगी में बदल गई इसका एहसास ही ना था।
एक पल के लिए तो दोस्ती से यकीन हीं उठ गया।
एक ऐसा मोड़ आया कि हम सारे दोस्त सबके दुख में जीने मरने को तैयार हो गए।

बचपन का वह समय जो हर पल याद आए।
बचपन का साथी कब राहोमें खो गया ये पता ही नहीं चला।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: