संदीप कुमार सिंह 18 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगे। 2586 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:-मुक्तक छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" दीवाली की दूज पर,मन में भरूं प्रकाश। पावन भव्य विचार से,बन जाऊँ आकाश। जिसमें खाली गुण रहे,और करे आबाद- सब जीवों मे बल भरे,करता नहीं निराश।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....