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कोमलता की जननी

Rani Devi 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक सांची धूप 21183 0 Hindi :: हिंदी

               कोमलता की जननी
देखो दुनिया वालो भारत की
                 सुंदर तस्वीर दिखाती हूँ
यह है देवभूमि, मैं इसके
                अनोखे राज बताती हूँ  ! 
दुनिया के एक कोने में
               भारत जैसा देश बसता है
जिसकी हालत देखकर आज
               हर देश का वासी हँसता है  ! 
लोकतंत्र है भारत  में लेकिन
         लगता है नेताओं के हाथों इसको बेचा है
दरिंदगी का नंगा नाच दिल्ली में
          हर किसी ने खुली आँखों से देखा है  ! 
कोई मामा है, कोई चाचा है
                कोई बाप है कोई भाई है
सब कहते हैं बुरा हुआ लेकिन
      क्या किसी ने सचमुच् इंसानियत निभाई है  ? 
कल्पना चावला और सुनीता विलियम पर
                  हर कोई करता गर्व है
लेकिन सच बताओ भारत में लोकतंत्र है
                  या शासन करता मर्द है    ! 
बड़ी बड़ी बातें हो रही, बड़े सम्मेलन हो रहे
                     कानून बदले जाएंगे
पहले खुद को तो बदलो, ए कानून बदलने वालो
         बदल जाओ नहीं तो इतिहास बदले जाएंगे! 
अपना  मान बचाने हेतु
            हर औरत बनेगी झाँसी की रानी
अपने कानून वह खुद रचेगी
          खुद लिखेगी वह अपनी कहानी    ! 
मत कहना फिर, वह क्यों बनी दुर्गा
                और क्यों बनी वह काली है
या तो बदल डालो स्वयं को
                 और सम्मान करो औरत का
यह मत भूलो की औरत ही 
                     सृष्टि रचने वाली है
तुम औरत से हो, तुम्हारा वंश औरत से है
                    औरत से ही सारा संसार है
कहीं मलाला बनकर  , कहीं दामिनी बनकर
                    वह सह रही अत्याचार है    ! 
 जाग उठो औरत को कमजोर समझने वालो
वह कोमलता की जननी जला डालेगी तुम्हें
क्योंकि वह ही आग है, वह ही अंगार है   ! 

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