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सिर्फ़ तुम-तुम सिर्फ़ जा नहीं रही हो

आकाश अगम 26 May 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #sirf-tum #poetry #hindikavita 5824 0 Hindi :: हिंदी

तुम जा रही हो 
ये तुम भी जानती हो और मैं भी
पर एक बात सिर्फ़ मुझे ज्ञात है
जो यह है
कि तुम सिर्फ़ जा नहीं रही हो
बल्कि जा रही हो छोड़ कर मुझे
करके अकेला!
हृदय तो चाहता है
कि तुम्हारे जाने से पूर्व
तुम्हारे घर आकर बतिया लूं तुमसे
पर मेरा अहंकार आ जाता है बीच में
जो डराता है यह कह कर;
कि जाने क्या सोचोगी तुम
और जाने क्या सोचेगा यह समाज
 यदि हो गया अनुचित संदेह 
जाने कैसी छवि बन जाएगी मेरी!
देख रही हो न
कितना स्वार्थी हूं मैं!
हृदय कहता है "कितनी प्यारी हो"
और होंठ कहते हैं तुम्हारे सामने,
"कितनी खबूचड़ हो"
हृदय कहता है , "मेरे समीप बैठो कुछ देर"
पर होंठ कहते हैं "हवा आने दो"
देख रही हो न!
कितना असहज हूं मैं 
कितना उलझा हुआ!
प्रेम दुर्बलों के लिए नहीं है; जानता हूं 
इसीलिए कर रहा हूं उद्यम और प्रतीक्षा
उस क्षण के लिए 
जब जाग जाएगा मेरे भीतर का फ़ौलाद;
मेरे भीतर का प्रेम!
जब नहीं रहेगी आवश्यकता
तुम्हें प्रेम करने की, तुम्हें याद करनी की
क्योंकि तुम समा जाओगी मुझमें ही;
मिट जाऊंगा मैं 
और रह जाओगी मुझमें
सिर्फ़ तुम!

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