Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #मां पर कविता#पुत्र पर कविता#मां बेटे पर कविता#सामाजिक कविता#ये मेरा हक है कविता#वात्सल्य पर कविता#प्रेम पर कविता#मां का प्यार पर कविता#स्नेह पर कविता#Ambedkarnagar poetry#rb poetry#poetry by rambriksh#Rambriksh poetry#ye Mera huk hai poem# 30672 0 Hindi :: हिंदी
बड़े प्यार से, मां के गोद में, बैठे बैठे पूछा गीले बिस्तर पर क्यों सोती मुझे सुलाती सूखा तीखा तीखा लात मरता तुझको लगता मीठा खाना खाती मेरे खातिर,सो न जाऊं भूखा सिर सहलाती माता बोली, इसमें क्या शक है? ये मेरा हक है| कोरा कागज मेरा मन था,तू लेखनी, स्याही, प्यार भरा लोरी लिखकर तू,सुंदर गीत सुनायी, चल न पाता गिर गिर जाता, चलना मुझे सिखायी, रिश्तों की तू मीठी बोली,कोयल सी बुलवायी, मेरा बेटा बड़ा दुलारा,तु कितना नटखट है ये मेरा हक है| खेलने का जब जिद मैं करता,कंधे पर बैठायी, खुद को तु छोटी बन जाती, बड़ा मुझे बतलायी, दूर कहीं आंखों से ओझल, आंसू झर झर आते, आदर करना मुझे सिखाती, मेहमान जब आते, इतना छोटा बड़ा सयाना,खुब करता बक-बक है, ये मेरा हक है| मैं छोटा हूं ,जब बड़ा बनूंगा, आसमान सा ऊंचा, संग तेरे मैं खुब घूमूंगा,घरती गगन समूचा, मुझे बताना घर ईश्वर का,मिलके कहूंगा उनसे धरती छोड़ यहां क्यों बैठे, क्या मां से हो रूठे जब तक जियूं मैं तेरी दुनिया,तु मेरा दीपक है ये मेरा हक है | बनकर बड़ा तु नाम कमाये, ये मेरा आशीष तुम्हें, जीवन का इक सपना मेरे,देती हूं मैं सीख तुम्हें, मां से बड़ा न दुनिया कोई,तीर्थ बड़ा न धाम कोई, मां की सेवा ही पूजा है,तेरा तीरथ धाम यही, छोटा सा बेटा तु मेरा, मेरे जीवन तक है, ये मेरा हक है ---------------------------------------------------------
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...