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आगे बढ़ता चला चल-आगे बढ़ चला चल

Rameez Raja 05 Feb 2024 कविताएँ समाजिक आगे बढ़ना सीखें 4162 0 Hindi :: हिंदी

जब से मनुष्य ने जन्म लिया , 
तभी से उसने जीवन में है संघर्ष पाया,
इसी संघर्ष के बल पर मनुष्य ने कभी हार नहीं मानी, मानी है सिर्फ अपनी उत्थान, विजय का रजमस्तक माथे पर लिए वह है आगे बढ़ता चला चल । 
आगे बढ़ता चला चल ।

है जीवन तो होंगी आएंगी विपत्तियां श्रेष्ठतम, इन्हें देख डर मत जाना और न रुक जाना उन क्षणिक के पलों को देख,

दृढ़ता, साहस और आत्मबल पर रख विश्वास, न कोई तुझे रोके,
न कोई टोके,
साहस और धैर्य के दामन को मज़बूत पकड़कर तू चल चला चल, बस आगे बढ़ा चल ।

तम रूपी बाधा तुझे रोकेगी,
आगे बढ़ने में तुझे सताएगी,
तू अपने धैर्य और आत्मविश्वास का परचम लहराकर, उन चुनौतियों को दे स्वीकार,
साहस व दृढ़ता के बल पर करदे इन सबको मात,रुके न तू इस बवंडर में बस पार करता हुआ आगे बढ़, 
आए घनघोर विपदा या आए तूफ़ान, 
तू बस चल चला चल, 
आगे बढ़ चला चल ।
आगे बढ़ चला चल ।

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