Bhagyashree Singh 10 Apr 2023 कविताएँ अन्य #MotivationalPoem#Kavyalekhan#Shashikikala#lekhanshaili#kavyasangrah#share#like 21494 0 Hindi :: हिंदी
शशि की कला 🌙 तारो से भरे अनंत गगन में, वो अपनी जिम्मेदारी निभाता है, चांद है जो तारे के मन को, अंध तमस से मुक्त कराता है। चाहे हो लाख तुझमें अवगुण, पर कुछ तो होगा खास अलग, ये मधुर अहसास कराता है, चांद है जो तारे के मन को, अंध तमस से मुक्त कराता है। हो चाहे कितना सूक्ष्म तू, तू चमक अपनी दर्शाता है, हो तेरे जैसे लाख मगर, तू पूर्ण खुद में कहलाता है, तारे को उसकी अस्तित्व धरा का, हर पल वो भान कराता है, चांद है जो तारे के मन को, अंध तमस में मुक्त कराता है। खुद की तुलना दूसरो से कर, तू अपना मान घटाता है, क्यों अपने वजूद को तू इतना, निर्बल कमजोर बनाता है? तू खुद में है परिपूर्ण, चांद हर बार तुझे समझाता है, चांद है जो तारे के मन को, अंध तमस से मुक्त कराता है। तू हर दिन जगमग आभा से, अपनी कांति दर्शाता है, पर देख मुझे अस्तित्व मेरा, हर दिन परिवर्तन लाता है, फिर भी है गर्व मुझे खुद पर, संतृप्ति समाई है मुझ पर, मैं अप्रतिम खुद में तुलनीय, नही किसी की अभिमान धरा पर , जीवन है मिला तो व्यर्थ ना कर, है समय मिला तो अनर्थ ना कर, उद्देश्यविहीन होकर तू क्यों, अनुपयोगी इसे बनाता है, प्रभु पर विश्वास ना करके तू, क्यों खुद विश्वास घटाता है? क्यों खुद के जीवन निर्णय को, पर की जागीर बनाता है? अपने निर्णय पर रहना अटल, ये बात चांद सिखलाता है, चांद है जो तारे के मन को, अंध तमस से मुक्त कराता है। मेरी कलम से✍️ भाग्यश्री सिंह
मेरा नाम भाग्यश्री है, मैं एक स्नातकोत...