Maushami 05 Jun 2023 कविताएँ समाजिक अर्धसत्य # पजचान #अहंकार #जीवन 7197 0 Hindi :: हिंदी
अर्ध सत्य मनुष्य के जीवन का अर्ध सत्य है, हकीकत और मिथ्या का एक संयोग है। ओजीवन में बहुत सी बातें होती हैं, परंपरागत ज्ञान में ही प्रतिष्ठित होती हैं। हम जीने के लिए सत्य की तलाश में हैं, पर अर्ध सत्य की दुनिया में हम जी रहे हैं। चेहरे पर मुस्कान और अंदर का दर्द, हमसे छिपाया हुआ एक सीप जैसा हैं। कई बार झूलते रहते हैं हम भ्रम में, जो हकीकत नहीं, बस रोशनी की किरण में। हम अर्ध सत्यों में जीने को तरसते हैं, जहां खोखलापन और अस्थिरता छायी होती हैं। सच्चाई की तलाश में हम बड़े घूमते हैं, पर बहुत से अर्ध सत्यों में हम खुद को खो बैठते हैं। सोचते हैं कि हम अहंकार से पार हैं, पर असल में अहंकार ही हमारी पहचान हैं। अर्ध सत्य में हम जीवन बिताते हैं, सच्चाई को तार तार कर देते हैं। पर जब तक हम अर्ध सत्य से मुक्त नहीं होते, जीवन बना रहेगा एक नाटक के समान है। अर्धसत्य ही हमारी पहचान है।