SACHIN KUMAR SONKER 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य GOOGLE (बारिश का मौसम) 52046 0 Hindi :: हिंदी
शीर्षक (बारिश का मौसम) मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर) चेहरे पर खुशियाँ आती है काली घटा जब बदल पर छाती है। झूम के पवन फिर गाती है , पेड़ो पर मस्ती छाती है। फिर झूम के डाली गाती है। पंछी कलरव करते है कोयल कूक कर गाती है। कोयल कूके बादल बरसे पवन भी चल रही हो मनोरम। आकाश में बादल गरजे कड़के बिजली जैसे बिजली के साथ हो लिए पवन। पेड़ भी झूम के गाये ऐसे जैसे आ गया हो सावन। चारो तरफ घिरे हो बादल ऐसा लगता है , जैसे बादलो का धरती के साथ हो रहा हो मिलन बादल के साथ हो गगन। ऐसा दृश्य मनोरम देख के दिल हो जाये मगन। आकाश में बादल ऐसे चले जैसे जल में चल रही हो जल तरंग। बिजली की गड़गड़हट और कड़कड़हट से गूँज रहा है सारा गगन। देख कर लगता है ऐसा जैसे मेघो का आ गया हो बसंत। बादल घिर-घिर कर आये वर्षा की बुँदे टपकाये। प्यासी धरती की प्यास बुझाये। सूरज भी बादलो के साथ मिल अठखेलियाँ मचाये। बारिश का मौसम सब के मन को भाता है। दिल एक खुशी की लहर दौड़ता है।