Shivam 04 Jun 2023 कविताएँ धार्मिक रश्मी रथी का तृतीय सर्ग 6521 0 Hindi :: हिंदी
हस्तिनापुर में संदेशा आया, धृतराष्ट्र ने दरबार लगाया । श्री कृष्ण लेकर आए पांडवों का संदेश, आज खत्म हो जाए शायद दोनों परिवारों के कलेश। हस्तिनापुर के दरबार खुले श्री कृष्ण के लिए , माधव ने दुर्योधन को पांडवो के आदेश सुना दिए। दुर्योधन आप है हमारे जेष्ठ भ्राता, अपनो के सम्मुख हमसे शस्त्र उठाया ना जाता। अर्जुन के सारे दिव्य अस्त्र विफल से हो जाते है, जब वो सम्मुख अपने गुरू द्रोण को पाते है। हम जोड़ना चाह रहे सारे संबंध, दुर्योधन अब तू न कर जा सा भी विलंब। यहां पर है कई बाधा, राज्य कर दे आधा-आधा। लगे यदि इसमें भी कोई विपत्ति, तो 5 गांव की दे धरती। युद्ध रोकने का यह अंतिम समाधान , वरना युद्ध के लिए रहो सावधान। धृतराष्ट्र सोच रहे मन ही मन युद्ध रोकने का है उपाय आसान, वरना अर्जुन कर दे सब कुछ पल भर में वीरान। मेरे आतंक से सारी दुनिया डरती, बिना युद्ध के तो में एक गांव की भी न दू धरती। अभी तू रुक में तुझको अपना रौद्र रूप दिखलाता हूं , बंधी बनाकर तुझको अब मैं जेल का साख चखाता हूं। इतना सुनते ही माधव का क्रोध था जो दुर्योधन पर फूट पड़ा, दुर्योधन का आदेश सुन सैनिकों का कुछ हिस्सा माधव पर था टूट पड़ा।