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अन्योनाश्रय संबंध

संदीप कुमार सिंह 26 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5605 0 Hindi :: हिंदी

चित्र की अभिव्यक्ति है यह,
मेरे मन की जागृति है।
यह एक अद्भुत संबंध है,
कजल और जल का।

एक _दूसरे के बिना जीना संभव ही नहीं,
इसलिए तो मैं कहता हूं,
यह अन्योनाश्रय संबंध है।

हरीयाली का लिबास लिए,
जल के उपर तैरती।
बहुत कुछ सिखाती है,
यह ढाकन का पात है।

सभी के नयनों का कौतूहल,
नजारा है।
एक कवि का हार्दिक उद्गार है,
उस चित्रकार का संग्रहित यह चित्र है।

मैं ने देखा या चित्र के आर _पार,
सुसज्जित प्यार है।
दर्पण सा साफ है,
अर्पण की परिभाषा है।

समर्पण का ज्ञान है,
हर मन का धड़कन है।
नजारा यह बेमिसाल है,
मेरी नज़रों की तो जानी _पहचानी यह तस्वीर पुरानी है।

इसमें छीपी ज्ञान का बीज,
तर्क और वितर्क कर,
अपने जीवन को सींच।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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