Vipin Bansal 30 Mar 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत #आशिकी 61946 0 Hindi :: हिंदी
कलम मेरी हो गई दिवानी कलम से मेरी आशिकी पुरानी दिले दर्दे गम को पीती हो जैसे जख्मों को शब्दों से सिती है ऐसे दिले मर्ज की दवा है निराली कलम से मेरी आशिकी पुरानी वक्त भर देता जख्म है गहरे फिर भी निशां रहते जिस्म को घेरे दिले जख्मों का मेरे न कोई निशां कलम में समाई मेरी जख्में निशानी कलम से मेरी आशिकी पुरानी !! हमदम कहूँ मैं,कहूँ या मैं यारा मेरे उजड़े जहाँ को इसने सवारा कैसे बताऊँ मै दर्दे कहानी कलम ने कह दी गज़ले जुबानी कलम से मेरी आशिकी पुरानी !! विपिन बंसल