Meenakshi Tyagi 09 Sep 2023 कविताएँ समाजिक प्रत्येक जीवित मनुष्य.. 10477 0 Hindi :: हिंदी
कभी-कभी जिंदगी में हमें ऐसा इम्तिहान भी देना पड़ता है, कि कितनी भी मेहनत की, कितनी भी जी जान लगाकर अपने इम्तिहान में लिखा हो, परिणाम केवल शून्य ही निकलता है, और उस शून्य से फिर निराशा से भरा मन, केवल और केवल पतन की ओर फिसलता है, लाख कोशिश करें खुद से फिर कोई वह सिर्फ गिरता है और ना संभलता है। जरूरत होती है उस वक्त ऐसे मलय के झोंके की, जो हमें धीरे से यह कहकर बह निकलता है.. उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक तुम्हें अपना लक्ष्य नहीं मिलता है, नजर उठा कर देखो तो वह झोंका बन मां का हाथ सिर पर सिहरता है, जीवन को जैसे फिर से नए सिरे से जीने का मन करता है, और फिर धीरे-धीरे मन नई आशाओं से भरता है, खिल उठता है फिर से और नया ख्वाब मन में पलता है, जीवन में है बस दो बातें - निराशा से भरी हार या फिर आशा से भरी सफलता है। है सच्चा मानव वही जो परिणाम से न डर स्वयं पथ प्रदर्शित करता है, उठकर फिर से नए जोश से कदम सफलता की ओर रखता है। इसी का नाम है जीवन यह थकता है और ना रूकता है ऊंची हो या नीची राहे यह तो चलता है और बस चलता है यह तो बस चलता है और बस चलता है। 🙏🙏