Manasvi sadarangani 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मां 23167 0 Hindi :: हिंदी
कभी धूप तो कभी छांव बनकर, आपने साथ दिया हमेशा मेरा भगवान बनकर लोग पूछते है तूने किसे अपना गुरु बनाया है मैंने कहा आज तक सब मां ने ही तो सिखाया है। हर पल हर घड़ी शिक्षा वो दे जाती है पता नहीं कैसे पर वो सब काम कर जाती है। बचपन से लेकर आज तक उसे नियमो में चलते देखा है सुख आये चाहे दुख उसे हर पल हंसते मैंने देखा है। इसे कहते है जीवन जो आपने जिया है, अपनों के लिए आपने क्या कुछ नहीं किया है। तेरी गोद में सिर रखकर जो जन्नत हमे मिल जाती है वो सुकून पाकर भगवान के चरणों की याद आ जाती हैं । श्रीमती मनस्वी सदारंगानी