संदीप कुमार सिंह 08 Jul 2023 कविताएँ धार्मिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4490 0 Hindi :: हिंदी
(कुंडलिया छंद) तुम से है मां सादगी, तुमसे ही है धर्म। तुमसे ही दुनिया चले,तुम से सारे कर्म।। तुम से सारे कर्म,सृष्टि तुमसे है जगमग। पर्व नवरात्रि खास,खुशी में रहते पगपग।। कहते कवि संदीप, दया करती मां मन से। पापी को दे मार,सांस चलती मां तुम से।। (स्वरचित संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....