कविता केशव 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक हम सब एक कठपुतली है जो दुसरे के इशारे पर ही नाचती हैं। करता कोई और है लेकिन नाम कठपुतली का ही होता है। 71098 0 Hindi :: हिंदी
कहने को तो --- कठपुतली खेल दिखाता है ! पर.... डोर हाथ में है उसके जो उसे उंगली पे नचाता हैं। कभी हंसाए, कभी रूलाए कभी बैठाएं, कभी दौड़ाएं, कभी..... इधर-उधर,उपर-निचे झूला झुलाता हैं। डोर हाथ में है उसके... जो उसे उंगली पे नचाता हैं।। कभी बुरा, कभी अच्छा, कभी झूठा, कभी सच्चा, कभी..... असलियत से पहचान कराता हैं। डोर हाथ में है उसके.... जो उसे उंगली पे नचाता हैं।। हम भी कठपुतली बन बैठे हैं अपने मन के! चाहे जिस और लें जाएं...... डोर हाथ में दे दी उसके चाहे जैसे नाच नचाएं। सृष्टि रूपी रंगमंच पर अपना- अपना किरदार है; किसी को मिलती गाली तो.... किसी के गले में फूलों का हार है। खेल सारा रचा है जिसने वो देता नहीं दिखाई है; करें कोई और भरें कोई, रीत यही तो... दुनिया में चलतीं आईं हैं। कठपुतली करतीं कुछ नहीं ; पर नाम उसी का हो जाता है। डोर हाथ में है उसके.... जो उसे उंगली पे नचाता हैं।। कविता केशव