Manasvi sadarangani 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक जिंदगी का अनुभव 80428 0 Hindi :: हिंदी
अनुभव जिंदगी भी अजीब रंग दिखाती है, पहले खुद ही गिराती है, फिर गिर कर चलना सिखाती है । धूप-छांव दोनों ही मिलते है यहां, क्योंकि बिना धूप के सिर्फ छांव भी ठंड दे जाती है। श्रीमती मनस्वी सदारंगानी