Pravin Chaubey 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक #काव्य #सायरी #पोएम #कवि # कविता#मोटिवेशन#ऑनलाइन काव्य 16056 0 Hindi :: हिंदी
ऐ जिंदगी और कितना सताएगी तू मांगी थी तुझसे बस एक छोटी सी खुशियां उस खुशियों के लिए और कितना रुलाएगी तू कभी खुदा के तो कभी तेरे दर पे गुहार लगाया था सोचा था जिसके लिए मन में उस का तूने दीदार भी कराया था, लेके तस्वीर जिसका मन में बसाया था दे के हल्की सी रोशनी की झलक, तूने जलते हुए दिए को बुझाया था, ऐ जिंदगी और कितना रुलाएगी तू जिन्हे जरूरत थी रोशनी की उन्हें बाती तक ना मिली रह लेंगे अंधेरे में कहर तूने किसी दिवाली छीन ली किसी के सपने तो किसी की पूरी खुशी छीन ली ऐ जिंदगी बस इतना बताते जा और कितना रुलाएगी लेके उम्मीद का हमने भी एक दिया जलाया था छोटे छोटे सपने हमने भी सबकी तरह सजाया था ना कोई आंधी चली ना कोई बिजली गिरी ना ही भूकम आया ऐ जिंदगी फिर भी तूने मेरे उम्मीद के दिए को कैसे बुझाया ऐ जिंदगी और कितना सताएगी तू मांगी थी तुझसे बस एक छोटी सी खुशियां उस खुशियों के लिए और कितना रुलाएगी तू - प्रवीण चौबे
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