संदीप कुमार सिंह 02 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5484 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) दुख से बचे न राम जी, वक्त बड़ा बलवान। सुख दुख आते ही रहे, देते रहते ज्ञान।। दुख से बचे न राम जी, सुख दुख से है प्राण। हारे कभी न साहसी,करते हैं कल्याण।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....