Sudha Chaudhary 21 Aug 2023 कविताएँ अन्य विरह गीत 14694 0 Hindi :: हिंदी
मैं क्या तुम से प्रेम करुं तुम तो प्रेम के लीलाधर हो नहीं रही मैं कुंज विरहिणी मैं तो वह गंगाजल हूं। मेरा हृदय शून्य करके किस जोगिन के जोगी होगे जिसका साथ अनंत काल का मैं वह शीतल तल हूं। सुधा चौधरी बस्ती