संदीप कुमार सिंह 31 May 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4695 0 Hindi :: हिंदी
जब से है वह सामने, बदल गए अंदाज। सीरत में है ताजगी,सूरत में है लाज।। जीवन जीना है कला,सदा बढ़े जब ज्ञान। बदल गए अंदाज सब,त्याग दिया अभिमान।। उनका जलवा खास है,कायल हैं सब आज। हुई बात जब खूब तब,बदल गए अंदाज।। बदल गए अंदाज तो,वही दिखे तब रूप। जिनकी जैसी सोच हो,मिलता वैसा धूप।। बदल गए अंदाज जो,चाहत हुई अथाह। उनका लब पर नाम है,देता उनको वाह।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....