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ज़िन्दगी की मंजिल

akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक ज़िन्दगी की वास्तविकता 21840 0 Hindi :: हिंदी

* ज़िन्दगी की मंजिल *

        इस ज़िन्दगी में मंजिल,
        पाना बहुत कठिन है।
        कभी रास्ते कठिन है,
       कहीं रास्ते नहीं है ।

       हम खोज में इसी की, 
       देखो भटक रहे हैं।
       मंजिल मिलेगी कब ,
       हमको पता नहीं है ।

        बड़ा सा मकान है,
      पर उसमें घर नहीं है ।
      ऐशो आराम बहुत है,
      पर मन में शुकूं नहीं है ।

        बिस्तर पर लेटते हैं ,
       पर आंखों में नींद नहीं हैं।
       कैसे कटेगी ज़िन्दगी,
       हमको पता नहीं है ।

      मिले दोस्त तो बहुत ,
       पर दोस्ती नहीं है ।
      धोका है हर क़दम पर ।
      नेकी कहीं नहीं है ।

     अपने तो बनते हैं पर ,
    अपनापन अब नहीं है ।
    जी रहे हैं यहां हम,
     पर जिन्दगी नहीं है ।
 
     ज़िन्दगी के इस सफर में,
     साथी कोई नहीं है ।
     सांसो के रूकते ही 
      फिर तेरा कोई नहीं है ।

     लम्बी उम्र जिए हम ,
     नहीं जिए ज़िन्दगी हम ।
     इस तरह  हमारा जीना ,
     कोई ज़िन्दगी नहीं है ।

      मिल पायेगी हमें मंजिल ,
      ये मुमकिन अब नहीं है ।
      मज़े से जियो ये जिंदगी ,
      फिर जिंदगी नहीं है ।

     अरमान कर लो पूरे ,
     सही ज़िन्दगी यही है ।
      खुशहाल हो ये जीवन,
      यही जिन्दगी की खुशी है।

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