नरेंद्र भाकुनी 21 Feb 2024 कविताएँ समाजिक माँग, किसान आंदोलन, मोदी, नरेंद्र मोदीजी, army,indian army,bhagatshingh, uttrakhand,jay shree ram, Narendra Bhakuni 2732 0 Hindi :: हिंदी
मेरी मांग विधाता से हे विधाता आज तुझसे खिल चुकी मेरी भावना। आज तुझसे कह रहा हूं मांगा मैंने कामना। मुझको ये वरदान दे दो सादगी का मान दे दो। मेरी माता मुझसे कहती आज वादा तुम निभाना। खून सारा अपना देकर आज मुझको ये बताना। आज ये अरमान दे दो। मान दे दो, फरमान दे दो। सरहदों से पूछता हूं बोलता हूं, सोचता हूं। ख्वाहिशों के राज सारे खोलता हूं , खोजता हूं। धड़कनों में जग चुकी थीं आज वो आवाज दे दो। ताज दे दो, नाज़ दे दो। आसमां भी आज कहता ये धरा हैं, बादलों का। नायकों की टोली सजती आस सारी महादलों की। रक्त सारा अपना देकर आज ये बलिदान दे दो। तन में, मन में ये जीवन में खेत में खलिहान दे दो। उन शहीदों की शहादत वो भी मुझसे कह रहे। हम रहे या ना रहे पर देश पहले तू रहे। आज मुझको जुनून दे दो। खून दे दो, सुकून दे दो। नरेंद्र भाकुनी , एम ए हिंदी