संदीप कुमार सिंह 03 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4089 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) गर्मी आई खूब है,खूब लगे अब प्यास। पानी मधु जैसा लगे,सुख मय हो अहसास।। कभी हवा यूं जब मिले,लगती है नव जान। जैसे दुर्लभ चीज हो,देती है ईमान।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....