Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद #उदर कुंड 80258 0 Hindi :: हिंदी
कविता = ( उदर कुंड ) उदर कुंड में क्यों धधकाई ! भूख की यह प्रचंड ज्वाला ! सब कुछ हुआ सुहा मेरा ! किस - किस का दूं हवाला ! बस कश्मकश रोटी की ! और आहुति सपनों की ! तेरी नज़र में ज़िंदगी ! मेरी नज़र में काग़ज़ के फूलों की माला ! उदर कुंड में क्यों धधकाई ! भूख की यह प्रचंड ज्वाला ! उदर कुंड तक ही खेंची तून्हें ! जीवन की मेरी रेखा ! उदर कुंड से बहार निकलकर ! मैंने न कुछ भी देखा ! उदर कुंड में रहा समाया ! उदर कुंड से बहार न आया ! दिन-रात जपी बस मैंने ! रोटियों की है माला ! उदर कुंड में क्यों धधकाई ! भूख की यह प्रचंड ज्वाला ! सॉंसों से ज्यादा ग़म मिले ! जिए कम रोज़ मरे ! रोटियों के मरघट पर ! सपने जले ! कंधे भी अब झुकने लगे ! कांधा देते दुखने लगे ! जिस्म नहीं रूह को मारा ! इस घर का निकला दिवाला ! उदर कुंड में क्यों धधकाई ! भूख की यह प्रचंड ज्वाला ! जिस्म भी देखो जेल बना ! साँसों की सलाखों में रहना पड़ा ! यह जीवन भी एक बददुआ ! हमको मिली ये कैसी सज़ा ! सांसें बोतल में ! मौत ए नशा ! मुक़द्दर मेरा क्यों है बिगाड़ा ! साँसों के बदले मौत ए प्याला ! उदर कुंड में क्यों धधकाई ! भूख की यह प्रचंड ज्वाला ! ( विपिन बंसल )