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भारत पर महाभारत

virendra kumar dewangan 08 Sep 2023 आलेख देश-प्रेम Patrotiat 12330 0 Hindi :: हिंदी

भारत पर महाभारत
जिस देश का नाम महाराज भरत के कारण भारत पड़ा, जो देश सदियों तक भारत रहा और जहां भीषणयुद्ध महाभारत हुआ, उस देश को अंग्रेजों ने इंडिया इसीलिए बनाया कि उन्हें यहां अंग्रेजी और अंग्रेजियत थोंपनी थी।

1947 में जब देश आजाद हुआ, तब के शासकों का यह पहला कर्तव्य बनता था कि देश का नाम पूर्ववत भारत ही रहने देते। कारण कि इंडिया नाम गुलामी का प्रतीक है, तो भारत नाम स्वदेशी का बिगुल।

हालांकि संविधान निर्माताओं ने इस बात का ख्याल रखा और उसमें भारत के साथ-साथ इंडिया नाम जोड़ दिया। संविधान में दोनों शब्दों को समान रूप से अंगीकार किया गया है। लेकिन, अगर संविधान की भाषा पर गौर करें, तो भारत को प्राथमिकता दी गई है। उसमें लिखा गया है-‘‘इंडिया दैट इज भारत यानी इंडिया, जो भारत है।’’

फलस्वरूप आज भी देश-विदेश में दो नाम चल रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि देश के नीति-निर्धारकों ने इस पर सम्यक रूप से विचार ही नहीं किया।

आज जब केंद्र सरकार दासता के इस प्रतीक को हटा़ना चाह रहा है और ‘प्रेसिडेंट आफ भारत’ और ‘प्राइम मिनिस्टर आफ भारत’ अपने दस्तावेजों व निमंत्रण पत्रों में लिखवा रहा है, तो इंडिया के पैरोकारों को रास नहीं आ रहा है और वे देश में बावेला मचाए हुए हैं। जबकि उनको ‘भारत’ के समर्थन में खड़ा होना चाहिए।

उनका तर्क यह कि आइएनडीआइए गठबंधन से डरकर व घबराकर मोदी ने इंडिया नाम के बजाय भारत का इस्तेमाल करना शुरू कर है। इन विपक्षियों को यह गंभीरता से समझने की जरूरत है कि नौ साल से देश जानता है कि मोदी डरने-घबरानेवालों में-से हैं। उनका उद्देश्य देश की सांस्कृतिक विरासत सहित प्रतिष्ठा को पुर्नस्थापित करना भर है।

ऐसी बात नहीं कि भारत पहला ऐसा देश है, जिसने अपने प्राचीन नाम को स्थापित करने का प्रयास किया है। जब सिलोन से श्रीलंका,  बर्मा से म्यांमार और तुर्की से तुर्किए हो सकता है, तब इंडिया से भारत क्यों नहीं हो सकता? जबकि भारत गांवों में बसता है, जिसकी आबादी 70 प्रतिशत से अधिक है। इंडिया नाम तो चंद शहरी लोगों का है, जो अंग्रेजी बोलते हैं और अंग्रेजियत की थोथी शान दिखाते हैं।

दलील यह भी कि जब बांबे मुंबई, मद्रास चेन्नई, बैंगलोर बैंगलुरु, कलकत्ता कोलकाता, इलाहाबाद प्रयागराज, औरंगाबाद संभाजीनगर और केरल केरलम हो सकता है, तब इंडिया भारत क्यों नहीं हो सकता?

सोचनीय यह भी कि हम भारत माता की जय कहते हैं, न कि इंडिया माता की। इसी बात को लेकर सदी के नायक अमिताभ बच्चन ने ट्विट किया है, भारत माता की जय। अपने समय के महान अभिनेता मनोजकुमार ने तो अपना फिल्मी नाम भारत ही रखा था। ऐसा ही विचार महानतम बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का भी है कि अब भारतीय क्रिकेटरों की जर्सी पर इंडिया नहीं भारत छपना चाहिए।

राष्ट्रगान में भी ‘भारत भाग्य विधाता’ आता है। देश की संस्कृति विशेषकर प्रादेशिक भाषाओं को देखें, तो उनके मूल में भारत है। कटक से लेकर अटक तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी अलग-अलग उच्चारण के साथ भारत के नाम से देश को पुकारा जाता है। यहां तक कि विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिरों में भी भारत शब्द का उपयोग किया जाता है।

हालांकि आरबीआई, सीबीआई, एसबीआई, एलआइसी, आदि-इत्यादि तमाम संस्थानों में इंडिया शब्द विद्यमान है और कई योजनाओं के नाम में भी इंडिया शब्द जुड़ा हुआ है, जिसे धीरे से हटाया जा सकता है। वस्तुतः भारत राष्ट्रीयता, विरासत, संस्कृति का प्रतीक है, जिसे बनाए रखने के लिए हम सबको आगे आना चाहिए।

यह भी सत्य है कि कार्यकारी आदेशों में सरकार यदि भारत नाम इस्तेमाल करती है, तो उसमें कोई कानूनी अड़चन नहीं है, न संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है। इसमें संवैधानिक संशोधन की तब जरूरत पड़ेगी, जब सरकार ये घोषणा करे कि अब देश का नाम केवल ‘भारत’ होगा।
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